आज देश में शिक्षा पर हजारों–लाखों रुपये खर्च किए जा रहे हैं। प्राइवेट स्कूलों की फीस इतनी ज्यादा हो गई है कि बच्चों की पढ़ाई के लिए माता-पिता दोनों को मेहनत करनी पड़ती है। कई माता-पिता अपने बच्चों को अच्छी शिक्षा दिलाने के लिए अपनी कमाई का बड़ा हिस्सा स्कूल की फीस पर खर्च कर देते हैं।वही गरीब और माध्यम वर्ग के लोग इन स्कूलों में अपने बच्चों का एडमिशन भी नहीं करा पाते है। क्योकि इतनी महंगी फीस होती है की घर का पूरा बजट बिगाड़ देती है।
लेकिन दुख की बात यह है कि इतनी महंगी शिक्षा पाने के बाद भी बच्चों को सामान्य ज्ञान की छोटी-छोटी जानकारी तक नहीं पता होती। अगर प्राइवेट स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों की यह स्थिति है, तो फिर प्राथमिक स्कूलों की हालत का अंदाज़ा लगाना मुश्किल नहीं है। वहाँ बच्चों को और भी कम जानकारी मिलती होगी। हैरानी की बात यह भी है कि लाखों रुपये फीस लेने के बावजूद कई स्कूल बच्चों को सामान्य ज्ञान तक नहीं सिखा पा रहे हैं। ताज़ा मामला आर्मी पब्लिक स्कूल (Army Public School)से सामने आया है, जहाँ कुछ बच्चों को अपने ही राज्य के मुख्यमंत्री का नाम तक नहीं पता था। हाल ही में आर्मी पब्लिक स्कूल के कुछ बच्चों से जब मुख्यमंत्री का नाम पूछा गया, तो वे जवाब नहीं दे सके।यह सुनकर दुख इसलिए भी हुआ, क्योंकि इन स्कूलों की फीस कई परिवारों के लिए पूरी कमाई से भी ज्यादा होती है।
इसके अलावा बच्चो को स्कूलों को सिर्फ किताबें न देकर बल्कि वास्तविक जीवन से जुड़ा ज्ञान भी देना चाहिए। शिक्षकों को बच्चों को देश, राज्य और समाज के यह मामला दिखाता है कि बच्चों में सामान्य ज्ञान कितना पीछे छूट चुका है। आज के समय में बच्चो को सिर्फ किताबी ज्ञान तक ही सीमित रखा जाता है।इसके बारे में रोज़ थोड़ा-थोड़ा सिखाना चाहिए।
बच्चों की सीख केवल स्कूल तक सीमित नहीं होती।बल्कि घर पर माता-पिता को बच्चों से बातचीत करनी चाहिए, उन्हें समाचार, घटनाओं और अपने राज्य के बारे में बताना चाहिए।बच्चों को मोबाइल और गेम्स से हटाकर असली दुनिया की जानकारी देना जरूरी है।हर दिन बच्चों को देश, राज्य और समाज से जुड़ी 2–3 बातें बताई जाएँ।बच्चों से बातचीत करके उनकी सोच और जागरूकता बढ़ाएं।
शिक्षा केवल स्कूल तक सीमित नहीं रह सकती। महँगी फीस लेने वाले स्कूलों को भी यह सुनिश्चित करना चाहिए कि बच्चों को सामान्य ज्ञान, सामाजिक समझ और व्यावहारिक जानकारी मिले। घर और स्कूल दोनों मिलकर बच्चों को बेहतर नागरिक बनाने में मदद कर सकते हैं।
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