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राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने कुमाऊं विश्वविद्यालय के दीक्षांत समारोह में छात्रों को दिया जीवन का संदेश — “शिक्षा का उद्देश्य केवल नौकरी नहीं, समाजसेवा और विनम्रता भी है”

नैनीताल। राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मु ने सोमवार, 4 नवंबर 2025 को उत्तराखंड के नैनीताल स्थित कुमाऊं विश्वविद्यालय के 20वें दीक्षांत समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में शिरकत की। इस अवसर पर उन्होंने छात्रों को संबोधित करते हुए कहा कि “शिक्षा किसी भी राष्ट्र की आत्मा होती है” — यह केवल ज्ञान प्राप्त करने का माध्यम नहीं, बल्कि व्यक्तित्व निर्माण, विनम्रता, सेवा और राष्ट्र निर्माण का पथ भी है। राष्ट्रपति ने अपने प्रेरक संबोधन में कहा कि शिक्षा हमें आत्मनिर्भर बनाती है, लेकिन इसके साथ ही यह सिखाती है कि हम विनम्र बने रहें और समाज व देश के विकास में योगदान दें। उन्होंने स्नातक और स्नातकोत्तर छात्रों से आह्वान किया कि वे अपनी शिक्षा का उपयोग वंचित वर्गों की सेवा और समाज सुधार में करें, क्योंकि यही सच्चा धर्म है जो जीवन में वास्तविक संतोष और आनंद प्रदान करता है।

श्रीमती मुर्मु ने कहा कि आज भारत की अर्थव्यवस्था दुनिया की सबसे तेज़ी से बढ़ती प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं में शामिल है। उन्होंने कहा, “सरकार निरंतर प्रगति सुनिश्चित करने के लिए कई नीतिगत पहल कर रही है, जिससे युवाओं के लिए असीम अवसर पैदा हो रहे हैं। उच्च शिक्षा संस्थानों को चाहिए कि वे छात्रों को इन अवसरों का लाभ उठाने के लिए आवश्यक कौशल और आत्मविश्वास प्रदान करें।”

राष्ट्रपति ने अनुसंधान, नवाचार और उद्यमिता को उच्च शिक्षा का अभिन्न हिस्सा बताते हुए कहा कि आधुनिक युग में बहु-विषयक दृष्टिकोण ही सफलता की कुंजी है। उन्होंने कुमाऊं विश्वविद्यालय की शिक्षा और अनुसंधान के क्षेत्र में उत्कृष्टता की सराहना करते हुए विश्वास व्यक्त किया कि यह विश्वविद्यालय नवाचार और सामाजिक विकास की दिशा में अग्रणी भूमिका निभाता रहेगा। उन्होंने कहा कि हिमालय केवल भारत का भौगोलिक प्रतीक नहीं, बल्कि जीवनदायिनी शक्ति का स्रोत है। इसके प्राकृतिक संसाधनों के संरक्षण और संवर्धन की जिम्मेदारी हम सबकी है। राष्ट्रपति ने विश्वविद्यालय के पर्यावरणीय प्रयासों की सराहना करते हुए कहा कि “पर्यावरण की रक्षा हमारे भविष्य की सुरक्षा है।”

अपने संबोधन में राष्ट्रपति मुर्मु ने यह भी कहा कि हर विश्वविद्यालय की सामाजिक जिम्मेदारी होती है। उन्होंने शिक्षकों और छात्रों से आग्रह किया कि वे आस-पास के ग्रामीण इलाकों में जाकर लोगों की समस्याओं को समझें और उनके समाधान में सक्रिय भूमिका निभाएं। उन्होंने युवाओं को भारत के भविष्य का निर्माता बताते हुए कहा, “वर्ष 2047 तक भारत को एक विकसित राष्ट्र बनाने का जो लक्ष्य हमने रखा है, उसे पूरा करने में युवाओं की भूमिका सबसे अहम होगी। मुझे विश्वास है कि कुमाऊं विश्वविद्यालय के छात्र अपनी प्रतिभा, ऊर्जा और समर्पण से इस लक्ष्य को अवश्य प्राप्त करेंगे।” कार्यक्रम में विश्वविद्यालय के कुलपति, प्राध्यापकगण, छात्र-छात्राएं और राज्य के अनेक गणमान्य व्यक्ति उपस्थित रहे। इससे पूर्व राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मु ने नैनीताल स्थित श्री नैना देवी मंदिर में पूजा-अर्चना की और नीम करोली बाबा आश्रम, कैंची धाम में दर्शन कर आशीर्वाद प्राप्त किया।

 

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