बेलगावी (कर्नाटक)। कर्नाटक के बेलगावी जिले में गन्ना किसानों का आंदोलन अब एक बड़े जनआंदोलन का रूप ले चुका है। हसीरु सेना किसान संघ के बैनर तले हजारों किसान लगातार सड़कों पर उतरकर सरकार से ₹3,500 प्रति टन के न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) की मांग कर रहे हैं। किसानों ने स्पष्ट कर दिया है कि जब तक उनकी मांग नहीं मानी जाती, वे आंदोलन समाप्त नहीं करेंगे। किसानों ने चीनी मिलों द्वारा दिए गए ₹3,200 प्रति टन के प्रस्ताव को सख्ती से ठुकरा दिया है। उनका कहना है कि बढ़ती लागत, डीजल और उर्वरक की कीमतों को देखते हुए ₹3,200 प्रति टन दर किसानों के साथ अन्याय है। आंदोलन के चलते जिले की लगभग 26 चीनी मिलों में उत्पादन कार्य पूरी तरह ठप हो गया है, जिससे उद्योग जगत में भी हलचल मच गई है।
बेलगावी से फैलकर छह जिलों तक पहुंचा आंदोलन
आंदोलन अब सिर्फ बेलगावी तक सीमित नहीं रहा। यह अथनी, चिक्कोडी, हुक्केरी, बैलहोंगल, मुदलागी और गोकाक तक फैल चुका है। बेलगावी के मुदलागी शहर में सोमवार को पूरा बाजार बंद रहा, जबकि हजारों की संख्या में किसान ट्रैक्टरों और बैलों के साथ रैली निकालते हुए सड़कों पर उतर आए।
छात्र भी आए किसानों के समर्थन में
गोकाक में आंदोलन को नया मोड़ तब मिला जब छात्रों ने किसानों के समर्थन में सड़कों पर उतरकर विरोध प्रदर्शन किया। कई स्थानों पर छात्रों और किसानों ने मिलकर सड़कों को जाम कर दिया, जिससे घंटों ट्रैफिक बाधित रहा। शहर के मुख्य मार्गों पर पुलिस की भारी तैनाती की गई है, जबकि प्रशासन लगातार किसानों से वार्ता करने की कोशिश में जुटा है।
BJP ने जताया समर्थन, सरकार पर दबाव बढ़ा
भारतीय जनता पार्टी ने गन्ना किसानों की मांगों को उचित ठहराते हुए उनके आंदोलन को समर्थन देने की घोषणा की है। पार्टी नेताओं ने कहा कि किसानों को उनकी मेहनत का सही मूल्य मिलना चाहिए और राज्य सरकार को महाराष्ट्र की तरह पारदर्शी भुगतान मॉडल अपनाना चाहिए, ताकि किसानों को समय पर भुगतान सुनिश्चित हो सके।
किसानों की चेतावनी — “रेट तय होने तक संघर्ष जारी रहेगा”
किसानों ने ऐलान किया है कि जब तक ₹3,500 प्रति टन का न्यूनतम समर्थन मूल्य तय नहीं किया जाता, वे पीछे नहीं हटेंगे। किसान नेताओं का कहना है कि राज्य सरकार को गन्ना मूल्य निर्धारण में किसानों को भी शामिल करना चाहिए, ताकि निर्णय न्यायसंगत और स्थायी हो सके।इस बीच, बेलगावी और आसपास के जिलों में गन्ना ढुलाई पर भी असर पड़ा है। सड़कें बंद होने से मिलों तक गन्ना पहुंचाने में दिक्कतें आ रही हैं, जिससे उत्पादन पर संकट गहराने लगा है। राज्य सरकार ने संकेत दिए हैं कि किसानों की मांगों पर विचार किया जा रहा है, लेकिन आंदोलनकारियों का कहना है कि “विचार नहीं, फैसला चाहिए” — जब तक घोषणा नहीं होती, उनका संघर्ष जारी रहेगा।















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