Advertisement

Ayushman Card: आयुष्मान कार्ड होने के बाद भी परेशान गरीब – आखिर क्यों नहीं हो रहा इलाज?

बाराबंकी का मामला: आयुष्मान कार्ड होने पर भी 10,000 रुपये की माँग

Ayushman Card: देश में स्वास्थ्य सेवाओं को आम आदमी की पहुँच तक लाने के लिए आयुष्मान भारत योजना (Ayushman Bharat)शुरू की गई थी। इस योजना का उद्देश्य था— हर गरीब परिवार को सालाना पाँच लाख रुपये तक का मुफ्त इलाज उपलब्ध कराना। लेकिन जमीनी स्तर पर स्थिति इससे बिल्कुल अलग दिखाई देती है। आयुष्मान कार्ड होने के बावजूद हजारों गरीब मरीज सही इलाज के लिए भटक रहे हैं।

पूरा मामला

बाराबंकी के लालपुरवा गाँव से एक हैरान कर देने वाला मामला सामने आया है। गाँव के एक बुजुर्ग के पास आयुष्मान कार्ड मौजूद होने के बावजूद उनका इलाज नहीं हो पा रहा है। बुजुर्ग ने बताया कि वह इलाज के लिए हिंद अस्पताल (Hind Hospital )पहुँचे, लेकिन वहाँ उनसे इलाज के नाम पर 10,000 रुपये की माँग की गई। पैसे न होने की वजह से आज तक उनका इलाज शुरू नहीं हो सका। यह घटना दिखाती है कि योजना का लाभ ज़रूरतमंदों तक पूरी तरह नहीं पहुँच पा रहा।

बाराबंकी में बुजुर्ग से 10,000 रुपये की माँग— आखिर कब बदलेगा सिस्टम?

बाराबंकी में बुजुर्ग से 10,000 रुपये की माँग— आखिर कब बदलेगा सिस्टम?

अस्पतालों के बहाने – मरीज परेशान

अस्पतालों में रोज यह सुनाई देता है— “सर्वर डाउन है।” “लिस्ट में आपका नाम नहीं आ रहा।” “आज कोटा खत्म है।” इन बहानों के कारण मरीज घंटों नहीं, कई बार दिनों तक परेशान होते रहते हैं। खासकर निजी अस्पताल आयुष्मान कार्ड वाले मरीजों को लेने में अनिच्छा दिखाते हैं। कई संस्थानों का मानना है कि भुगतान समय पर नहीं मिलता, इसलिए वे आयुष्मान मरीजों को प्राथमिकता नहीं देते। नतीजा यह होता है कि गंभीर हालत वाले मरीज भी इलाज शुरू होने से पहले ही निराश होकर लौट जाते हैं।

सरकारी अस्पतालों की स्थिति भी चुनौतियों से भरी है। सीमित संसाधन, बढ़ती भीड़, स्टाफ की कमी और लंबी प्रतीक्षा सूची गरीब मरीजों के लिए बड़ी समस्या बन जाती है। कई बार प्रक्रिया इतनी जटिल होती है कि मरीज की हालत बिगड़ने के बावजूद दस्तावेज़ और औपचारिकताएँ पूरी होने में लंबा समय लग जाता है।

एक और बड़ी समस्या है— जानकारी का अभाव।
कई लोगों को यह पता ही नहीं होता कि उनका आयुष्मान कार्ड सक्रिय है या नहीं, कौन-सी बीमारियाँ कवर होती हैं, या कौन से अस्पताल पैनल में शामिल हैं। इस कमी का फायदा उठाते हैं दलाल और अनधिकृत एजेंट, जो कार्ड एक्टिव कराने या अस्पताल में प्रवेश दिलाने के नाम पर गरीबों से पैसा वसूलते हैं।

असल समस्या योजना में नहीं, बल्कि उसके लागू होने के तरीके में है। निगरानी की कमी, सिस्टम की धीमी गति और अस्पतालों की मनमानी— ये सभी कारण मिलकर गरीबों को उनका हक़ मिलने से रोकते हैं। आवश्यकता है कि सरकार अस्पतालों पर सख्त कार्रवाई करे, फंड रिलीज की प्रक्रिया तेज़ करे और आम नागरिक को पूरी जानकारी आसानी से उपलब्ध करवाए। आयुष्मान भारत तभी सफल होगा, जब हर गरीब बिना किसी बहाने के, सम्मानपूर्वक और समय पर अपना इलाज प्राप्त कर सके।आयुष्मान भारत का उद्देश्य तभी सफल होगा, जब यह कार्ड सिर्फ कागज़ का टुकड़ा न बनकर सच में जरूरतमंदों के लिए “जीवनरक्षक” साबित हो।

Readmore :UPNews: यूपी में कोडीन सिरप कांड पर ताबड़तोड़ एक्शन, 118 FIR — आखिर कहां छिपा है शुभम जायसवाल ?” 

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *