Maa Chandrika Devi Dham: लखनऊ के बक्शी का तालाब‑कठवारा क्षेत्र में गोमती नदी के किनारे स्थित चंद्रिका देवी मंदिर, माता दुर्गा के स्वरूप माता चंद्रिका देवी को समर्पित एक प्राचीन शक्तिपीठ है। यह मंदिर धार्मिक आस्था, भक्ति और शांति का केंद्र माना जाता है। नवरात्र, अमावस्या और अन्य विशेष अवसरों पर दूर-दूर से श्रद्धालु आते हैं और भजन‑कीर्तन, हवन‑यज्ञ तथा आरती में भाग लेते हैं।
मंदिर का इतिहास और निर्माण कथा
पुराणों और लोक मान्यताओं के अनुसार, द्वापर युग में घटोत्कच के पुत्र बर्बरीक ने इस स्थान पर कठोर तपस्या की। उन्होंने माता चंद्रिका देवी की उपासना करके आशीर्वाद प्राप्त किया। देवी ने अपनी कृपा से उन्हें विशेष शक्ति और दर्शन प्रदान किए। इसी पौराणिक कथा के आधार पर यहाँ मंदिर का निर्माण हुआ और यह समय के साथ एक महत्वपूर्ण धार्मिक केंद्र बन गया।
देवी चंद्रिका के नौ रूप
मंदिर में देवी चंद्रिका के नौ रूपों की पूजा की जाती है। यह विशेषता इसे अन्य शक्तिपीठों से अलग बनाती है। श्रद्धालु इन नौ रूपों के दर्शन करके मानसिक शांति, पारिवारिक समृद्धि और मनोकामना की प्राप्ति की कामना करते हैं।
धार्मिक मान्यताएँ और उत्सव
मंदिर में विशेष अवसरों पर भजन‑कीर्तन और आरती आयोजित होती हैं। नवरात्र (चैत्र और शारदीय) के समय मंदिर भक्ति‑गीतों और झांकियों से सजता है। अमावस्या पर बड़ा मेला लगता है, जिसमें श्रद्धालु बड़ी संख्या में शामिल होते हैं। मंगलवार और शुक्रवार विशेष पूजा-अर्चना के लिए प्रमुख दिन माने जाते हैं। भक्त लाल चुनरी, चूड़ियाँ, सिंदूर और फूल चढ़ाते हैं।
सुधन्वा कुंड/महीसागर तीर्थ में शिव मंदिर का विशेष महत्व
चंद्रिका देवी मंदिर के पास स्थित सुधन्वा कुंड/महीसागर तीर्थ में बना शिव मंदिर धार्मिक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, यही स्थान है जहाँ भगवान शिव लक्ष्मण के बाण से घायल हुए थे।
भक्त मानते हैं कि कुंड में स्नान करने से पाप और ताप मिटते हैं। कुंड के मध्य में स्थापित शिव की विशाल मूर्ति इस स्थान की धार्मिक और आध्यात्मिक महत्ता को और भी बढ़ाती है। नवरात्र, महाशिवरात्रि और अन्य विशेष अवसरों पर यहाँ विशेष पूजा और हवन‑यज्ञ का आयोजन होता है। श्रद्धालु यहाँ जलाभिषेक, फूल चढ़ाना और दीप प्रज्वलित करके भगवान शिव की आराधना करते हैं। यह तालाब और शिव मंदिर चंद्रिका देवी मंदिर के धार्मिक और सांस्कृतिक अनुभव को और भी समृद्ध बनाते हैं। यहाँ माता और शिव दोनों की पूजा करके भक्त अपनी आस्था और मानसिक शांति की प्राप्ति कर सकते हैं।
समय और सुविधाएँ
मंदिर प्रातः 5:00 बजे से दोपहर 1:00 बजे और फिर 2:00 बजे से रात 9:00–10:00 बजे तक खुला रहता है। लखनऊ से टैक्सी, ऑटो या निजी वाहन द्वारा आसानी से पहुँचा जा सकता है। मंदिर परिसर शांत, प्राकृतिक और श्रद्धालुओं के लिए मन को शांति देने वाला है। आसपास पूजा‑सामग्री, प्रसाद और खाने‑पीने की दुकानें मौजूद हैं। चंद्रिका देवी मंदिर केवल धार्मिक स्थल नहीं, बल्कि आस्था, भक्ति और सांस्कृतिक अनुभव का केंद्र है।












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